
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को तनाव से निपटने के लिए जरूरी मंत्र दिए। उन्होंने कहा, ‘मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। चुनौती जाएंगी, स्थितियां सुधर जाएंगी…इसकी प्रतीक्षा करते हुए मैं सोया नहीं रहता और इसके कारण मुझे कुछ नया सीखने को मिलता है। दूसरा, मेरे भीतर एक बहुत बड़ा कॉन्फिडेंस है। मैं हमेशा मानता हूं कि कुछ भी हो, 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं।’ PM ने कहा कि आज जल, थल, नभ में भारती की युवा पीढी आगे बढ़ रही है। प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए, दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा करें। वहीं, शिक्षक का काम केवल नौकरी करना या नौकरी बदलना नहीं है, उसका काम जिंदगी को संवारना और उसे सामर्थ्य देना है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि छात्र अपने तनाव, समस्याओं और असुरक्षा के बारे में अपने शिक्षकों से खुलकर चर्चा कर सकें। जिस दिन आप सिलेबस से आगे निकलकर उससे नाता जोड़ेंगे तो छात्र जरूर आपसे अपने मन की बात करेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ जन-आंदोलन का रूप ले चुका है। PM कहते हैं की परीक्षा की परीक्षा ले डालो। परीक्षा को हराएं, तभी तो 2047 में विकसित भारत होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को तनाव से निपटने के लिए जरूरी मंत्र दिए। उन्होंने कहा, ‘मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। चुनौती जाएंगी, स्थितियां सुधर जाएंगी…इसकी प्रतीक्षा करते हुए मैं सोया नहीं रहता और इसके कारण मुझे कुछ नया सीखने को मिलता है। दूसरा, मेरे भीतर एक बहुत बड़ा कॉन्फिडेंस है। मैं हमेशा मानता हूं कि कुछ भी हो, 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं।’ PM ने कहा कि आज जल, थल, नभ में भारती की युवा पीढी आगे बढ़ रही है। प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए, दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा करें। वहीं, शिक्षक का काम केवल नौकरी करना या नौकरी बदलना नहीं है, उसका काम जिंदगी को संवारना और उसे सामर्थ्य देना है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि छात्र अपने तनाव, समस्याओं और असुरक्षा के बारे में अपने शिक्षकों से खुलकर चर्चा कर सकें। जिस दिन आप सिलेबस से आगे निकलकर उससे नाता जोड़ेंगे तो छात्र जरूर आपसे अपने मन की बात करेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ जन-आंदोलन का रूप ले चुका है। PM कहते हैं की परीक्षा की परीक्षा ले डालो। परीक्षा को हराएं, तभी तो 2047 में विकसित भारत होगा।
‘इतना दबाव न हो कि क्षमताएं प्रभावित हों’
PM ने कहा कि दबाव इतना नहीं होना चाहिए कि छात्र की क्षमताएं ही प्रभावित हो जाएं। यह कभी साथियों के दबाव से प्रेरित होता है तो कभी माता-पिता और कभी खुद से। माता-पिता, शिक्षकों या रिश्तेदारों की रनिंग कमेंट्री और हर बार नकारात्मक तुलना एक छात्र के लिए हानिकारक है। कई बार बच्चे खुद पर दबाव बनाते हैं कि वे उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। छात्रों को अपनी तैयारी के दौरान छोटे लक्ष्य तय करने चाहिए और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए। इस तरह आप परीक्षा से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे।

पूरी नींद, स्वस्थ जीवन शैली
PM ने छात्रों को जरूरत से ज्यादा समय स्क्रीन टाइम पर बिताने को लेकर आगाह किया और कहा कि इससे नींद भी प्रभावित होती है। पीएम ने कहा कि वह बिस्तर पर जाने के 30 सेकंड के भीतर सो जाते हैं। उन्होंने कहा कि संतुलित जीवनशैली बनाए रखने के लिए हर चीज की अधिकता से बचना चाहिए। स्वस्थ दिमाग के लिए एक स्वस्थ शरीर महत्वपूर्ण है और इसके लिए कुछ दिनचर्या, सूरज की रोशनी में समय बिताना और नियमित और पूरी नींद लेना जरूरी है। पीएम ने संतुलित आहार की जरूरत पर बल दिया और फिटनेस के लिए रोजाना एक्सरसाइज और शारीरिक गतिविधियों के महत्व पर भी जोर दिया।

‘नो गैजेट जोन’
मोदी ने बच्चों से कहा कि यह नियम बना सकते हैं कि खाना खाते समय डाइनिंग टेबल पर कोई ई गैजेट नहीं होगा। ‘नो गैजेट जोन’ यानी एक कमरे में कोई गैजेट की एंट्री नहीं, वहां पर परिवार जन मिलकर गप्पे मारेंगे। साथ ही पारदर्शिता लाने के लिए घर के सभी मोबाइल फोन का पासवर्ड हर सदस्य के साथ साझा करने की भी सलाह दी। तकनीक को बोझ नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि यह सीखना जरूरी है कि इसका इस्तेमाल किसी के लाभ के लिए कैसे किया जाए। PM ने घर में पके हुए पसंदीदा भोजन के साथ मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल की तुलना करते हुए कहा कि ज्यादा खा लेने पर पेट की समस्याओं के साथ ही अन्य समस्याएं हो सकती हैं, भले ही वह भोजन पोषक तत्वों से भरपूर हो। उन्होंने कहा कि किसी भी चीज की अधिकता बुरी बात है।

लिखने की आदत डालें
छात्रों के सवालों के जवाब में कहा कि एग्जाम के दिन बच्चे आराम से जाएं और पैरंट्स भी किसी तरह का दबाव न डालें। कंप्यूटर, आईपैड के कारण अब लिखने की आदत धीरे- धीरे कम हो गई है। एग्जाम के लिए बेहतर तैयारी करनी है तो लिखने की आदत डालनी होगी। खुद का लिखा पढ़ेंगे तो सुधार होता जाएगा। लिखने की प्रैक्टिस करें। इससे टाइम मैनेजमेंट भी बेहतर होगा और पेपर भी अच्छा होगा।